कभी न किजिएगा , आजमाइश , हौसलो की

कभी न किजिएगा , आजमाइश , हौसलो की
फलक से चाँद को , लाने का माददा रखते है।
इरादे वो है , के दुनिया की बदल कर रख दें।
ये और बात है , अन्दाज सादा रखते है।
दिल है फौलाद , तो पत्थर से इरादे अपने
हजारो आँखों के , इन आँखों में छाए सपने
वक्त पर जान दें , हम ऐसा वादा रखते है।
हम तो कुन्दन है , तप के और निखर जाऐगे
मुल्लमे झूठे , फरेबों के उतर जाऐगे।
यकी हम खुद पे ज़रूरत से ज्यादा रखते है।
हम अकेले ही सही , पर कदम रुके न कही
राहों में चल दिए , गर आयेगी मंजिल भी कही
सधे कदमों की , चाल का अन्दाजा रखते है।

उपयुक्त पंक्तियां रजनी सैनी सहर की लिखित पुस्तक परिधि से पहचान तक से ली गई है।