बस यही तो अब रोना है
सपना था ज़िन्दगी का
पढ़ लिख कर
मां – बाप का नाम बढ़ाएंगे
खुश होकर एक दिन वे
हमें अपने गले लगाएंगे।
वो सपना मेरी आंखो का
रिम -झिम चांद सितारों सा
दिल में था जो अरमान भरा
सुन्दर सुनहरा फूलों सा
अब टूट गया जो सपना था
छूट गया जो अपना था।
अब तो यही नियति है बनी
जिन्दगी में गमों की नहीं है कमी
आंसुओं को हम स्वीकार करें
जरा भी न उसका परवाह करें
अब रो रो कर ही हंसना है
जो सपने सजोंए थे
सच नहीं बस कल्पना हैं
सपने जो कभी पूरे न हों
यथार्थ नहीं बस सपना है
गमे जिन्दगी के
बस यही तो अब रोना है
बस यही तो —
उपयुक्त पक्तियां पूजा के द्वारा लिखी गई हैं।