मीमांसा डेस्क।
मोहब्बत कभी खत्म नहीं होती बस लोग मन से बदल जाते हैं।
कभी जो दिल के सरताज़ हुआ करते थे।
आज वही दिल का नासूर बन जाते है।
दिल तो हमनें भी लगाया था किसी से कभी
वही आज हमारे लिये ज़हर बन जाते है।
हमने जिनके साथ सपने सजाने की सोची थी।
वही हमारे सपनों को तोड़ जाते है।
हम क्या करे अब हम अपने ही
दिल की सुनना नहीं चाहते है।
उपयुक्त पक्तियां प्रकाश गुप्ता के द्वारा लिखी गई है।
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