साहित्यक रचनाएँ ;सत्य से निवेदन

 

 

सत्य।
तुम एतिहासिक हो।

हम तुम्हें अच्छी तरह
जानते हैं।

मंसूर के हाथ कटने तक
तुम बोले नहीं।

ईसा के सूली चढ़ जाने तक
तुमने चुप्पी साध ली।

सुकरात के जहर पीने तक
तुमने मौन रखा।

सीता के अग्नि प्रवेशोपरान्त ही
तुम्हारी जीत हो सकी।

तुम विजयी होते रहे हो
पर अन्त में

इसलिए मानव इतिहास में
एक वाक्य आया

,,,,, अन्त में होती है
सत्य की जीत ,,,,,

जब तुम्हारा वरण करने वाला
मृत या मृतप्राय हो जाता है।

परन्तु क्यों ?
यही है मेरे

रोने का कारण।
अब जमाना बदल गया है

तुम भी बदल जाओ न।
प्रारम्भ में नहीं तो

कम से कम अन्त से
थोड़ा खिसकर
मध्य में ही आओ न।

उपरोक्त साहित्यिक रचनाएँ स्वर्गीय बी एन झा द्वारा लिखित पुस्तक इन्द्रधनुष से ली गई है

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