डॉ. समरेन्द्र पाठक
वरिष्ठ पत्रकार
नयी दिल्ली,(एजेंसी)। भारत न सिर्फ विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है,बल्कि उभरती हुई आर्थिक शक्ति भी है। यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 19 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति भवन में भारतीय विदेश सेवा 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने प्रशिक्षुओं को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपनी यात्रा शुरू करते समय सभ्यतागत ज्ञान के मूल्यों- शांति, बहुलवाद, अहिंसा और संवाद आदि को अपने साथ लेकर चलना चाहिए। साथ ही उन्हें अपने सामने आने वाली हर संस्कृति के विचारों, लोगों और दृष्टिकोणों के प्रति खुला रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उनके आसपास की दुनिया भू-राजनीतिक बदलावों, डिजिटल क्रांति, जलवायु परिवर्तन और बहुपक्षवाद के संदर्भ में तेज़ी से बदलाव देख रही है। युवा अधिकारियों के रूप में उनकी चपलता और अनुकूलनशीलता हमारी सफलता की कुंजी होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच असमानता से उत्पन्न समस्याएं हों, सीमा पार आतंकवाद का ख़तरा हो या जलवायु परिवर्तन के निहितार्थ हो, भारत आज विश्व की प्रमुख चुनौतियों के समाधान का एक अनिवार्य हिस्सा है। भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि एक निरंतर उभरती हुई आर्थिक शक्ति भी है। हमारी आवाज़ का महत्व है।
राष्ट्रपति ने वर्तमान समय में सांस्कृतिक कूटनीति के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हृदय और आत्मा से बने संबंध हमेशा मज़बूत होते हैं। चाहे वह योग हो, आयुर्वेद हो, श्रीअन्न हों या भारत की संगीत, कलात्मक, भाषाई और आध्यात्मिक परंपराएं हों, अधिक रचनात्मक और महत्वाकांक्षी प्रयास इस विशाल विरासत को विदेशों में प्रदर्शित और प्रचारित करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे कूटनीतिक प्रयास हमारी घरेलू आवश्यकताओं और 2047 तक विकसित भारत बनने के हमारे उद्देश्य के साथ निकटता से जुड़े होने चाहिए। उन्होंने युवा अधिकारियों से आग्रह किया कि वे स्वयं को न केवल भारत के हितों का संरक्षक समझें, बल्कि उसकी आत्मा का राजदूत भी समझें।
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