कविता ; जाएं तो जाएं कहाँ

 

अब तो कॉम्पीटिशन कोई ऐसा चलाया जाए ,
जिसमें प्रतियोगी को प्रतियोगी बनाया जाए।

जिसकी मेहनत से महक जाए भारत का
हर घर , नौकरी एस कदर दिलायी जाए।

आग निकलती है ह्र्दय से जब समंदर में ,
हम नहाकर भी तृप्त न हो पाए।

ऐसी भावनाओं को समझने के लिये साहब ,
हर  अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए।

प्रतियोगी के दुख – दर्द का तुम पर कुछ
असर हो जाए ,

मैं रहूँ भूखा तो तुमसे भी न खाया जाए।
बस पा लूँ ज़िन्दगी में तुम्हें प्रसिद्धि मेरी हो जाए ,

मरने के बाद वो हमें याद रखे कि मौत भी
जिंदगी बन जाए।

उपयुक्त पक्तियां अनीता प्रजापति द्वारा लिखी गई है।

 

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