सुकून की बात करूं तो बस तुम्हें देख लेता हूँ ।
तो मुझे सुकून मिल जाता है।
तुम्हें ना देखूं तो मुझे चैन नहीं मिल पाता है।
दिल के सुकून को कोई कैसे समझा पाये ।
ये दिल तेरे बगैर रह नहीं पाता है।
क्या बात है तुझमें ?
मैं नहीं जानता।
फिर भी ना जानें यह दिल तेरी ही तलाश क्यों करना चाहता है।
मेरे दिल की दीवानगी भी बढ़ती जा रही है।
अब अपने ख्यालों में बस तेरी ही यादें बनती जा रही है।
उपयुक्त पक्तियां प्रकाश गुप्ता द्वारा लिखी गई है ।