आवश्यक है विटामिन डी और कैल्शियम का संयोजन

मीमांसा डेस्क।

शरीर में यदि विटामिन डी की कमी हो जाये तो कैल्शियम की पूर्ति होना भी मुश्किल होता है। जिसके कारण विटामिन डी के साथ कैल्शियम की कमी से होने वाली समस्याएं भी शरीर पर हावी होने लगती हैं। चिकित्सीय भाषा में समझें तो विटामिन डी वसा में घुलने वाले प्रो – हार्मोन्स का एक समूह होता है जो हमारी आंतों से कैल्शियम को सोख कर हड्डियों तक पहुंचाता है।

यह विटामिन डी सामान्य तौर पर हमें धूप से प्राप्त होने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों और हाइड्राक्सी कोलोस्ट्रॉल के माध्यम से प्राप्त होता है। हमारे शरीर के लिये विटामिन डी 2 और डी 3 अधिक आवश्यक होते हैं। वहीं शरीर में कैल्शियम की उचित मात्रा बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के शरीर को स्वस्थ रखती है। कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ ही तंत्रिका तंत्र द्वारा दिये गये संदेशों को मस्तिष्क तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन विटामिन डी की कमी होने पर शरीर को आवश्यकताअनुसार कैल्शियम की पूर्ति नहीं हो पाती।

ऐसे में शरीर आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये हड्डियों में से कैल्शियम लेना शुरू कर देता है। जिसके चलते हड्डियां और दांत कमजोर होने लगते हैं। ऐसे में कैल्शियम की कमी के कारण होने वाली अन्य बीमारियों का भी शरीर को सामना करना पड़ता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने शारीरिक स्वास्थ्य और पोषण के प्रति लापरवाही के कारण यह समस्या आज आम बात होने लगी है।

यहां तक की युवा वर्ग भी शरीर में दर्द या हड्डियों में कमजोरी आने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। प्राचीनकालीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में भी दोनों तत्वों को शरीर के लियेआवश्यक बताते हुए इनकी संतुलित मात्रा शरीर में बनाये रखने के विभिन्न उपायों का वर्णन किया गया है।

आयुर्वेद पद्धति में है बेहतर उपचार

प्राचीनकालीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के माध्यम से भी शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की पूर्ति की जा सकती है। प्राकृतिक जड़ी – बूटियों से बनी आयुर्वेदिक दवाएं अन्य पैथियों में दी जाने वाली दवाओं के मुकाबले सस्ती होने के साथ किसी प्रकार का दुष्प्रभाव भी नहीं डालती। आयुर्वेदिक दवाओं , मालिश किये जाने वाले लेप इत्यादि के माध्यम से विटामिन डी की कमी से होने वाले दर्द का उपचार किया जाता है। इससे शरीर की हड्डियां भी मजबूत होती हैं। वहीं आयुर्वेद में महिलाओं के लिये भी विभिन्न प्रकार की दवाएं और सिरप आदि उपलब्ध हैं जो उन्हें अनेक प्रकार की बीमारियों से बचाती है।

वहीं एक चम्मच मेथी दाना भिगोकर खाने से हड्ड़ियों का दर्द दूर होने के साथ उनमें मजबूती भी आती है। गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर या एक चम्मच बादाम रोगन डालकर पीने से भी बेहद लाभ होता है।