उतर प्रदेश का एक जिला मुरादाबाद जिसे अधिकांश लोग पीतल नगरी के रूप में भी जानते हैं, इन दिनों अपनी स्वच्छता और साफ हवा के कारण सबके बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
दरअसल, यहां धातु के बर्तन का उद्योग बहुतायत में होता है, जिसके चलते इस शहर में देश-विदेश से लोग व्यापार के लिये आते रहते हैं। गौरतलब है कि पिछले कई सालों से यहां रहने वाले लोगों एवं आगंतुकों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा था, जो शहर की सूरत के साथ उनके स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता था। घरों से निकलने वाला कचरा हर किसी के लिये किसी चुनौती से कम नहीं था, क्योंकि इसका उचित तरीके से निस्तारण नहीं किया जा रहा था।
हालांकि मुरादाबाद नगर निगम द्वारा पांच वर्ष पूर्व शहर के कचरा प्रबंधन का काम जिस संस्था को सौंपा गया था, वह नगर निगम की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी और कचरे के सही निस्तारण और प्रबंधन में नाकामयाब रही। इस बीच शहर में चार से पाँच लाख टन कचरे का ढेर लग गया, जिससे गर्मियों में आग लगने एवं धुएं की समस्या आम हो गई थी।
इस बड़ी समस्या से निपटने के लिये मुरादाबाद नगर आयुक्त एवं महापौर के सहयोग से एक ऐसी संस्था पाथेय को चुना गया जिसने कचरा प्रबंधन एवं निस्तारण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किये हैं। पिछले 27 वर्षों के अनुभव के साथ यह गैर सरकारी संगठन देशभर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन यानि वेस्ट मैनेजमेंट के रूप में कार्य कर रहा है।https://www.youtube.com/watch?v=-Os2M6PqJo8
पाथेय ने अब तक लगभग 2.28 लाख टन कचरे का वैज्ञानिक और जैविक विधि से निस्तारण किया है। जो सड़कें कचरे से पटी पड़ी थीं, उन्हें स्वच्छ बना दिया गया है। संयंत्र क्षेत्र में फैले लिक्विड वेस्ट एवं लिचेट को भी पूरी तरह साफ कर दिया गया है।
संस्थान द्वारा कचरे से RDF (Refuse Derived Fuel) बनाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसमें किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता है। जैविक पद्धति से किए गए इस निस्तारण में 45 दिनों के भीतर कचरे का लगभग 30% भाग RDF में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया में बायो-कल्चर का छिड़काव तथा नियमित जैविक उपचार हेतु अवशेषों की कतार बनाई जाती है।
कचरे को छानने व प्रसंस्कृत करने के लिए उन्नत मशीनें जैसे ट्रॉमेल्स, थापर आदि का उपयोग किया जाता है। संयंत्र से प्रतिदिन 10 से 15 ट्रक RDF विभिन्न पेपर मिलों, कपड़ा मिलों तथा वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों को भेजा जा रहा है।
इस बारे में ‘पाथेय’ संस्था के उपाध्यक्ष कर्नल विमल कुमार झा ने बताया कि इस परियोजना को पूरे उत्तर प्रदेश में मॉडल के रूप में लागू किया जा सकता है। यह संयंत्र पूरी तरह प्राकृतिक प्रक्रिया पर आधारित है और पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहायक है।
नगरवासियों को विश्वास है कि यह पहल न केवल मुरादाबाद को स्वच्छ बनाएगी, बल्कि अन्य शहरों को भी प्रेरणा देगी। कचरा, जो कभी एक गंभीर समस्या था, अब एक संसाधन के रूप में परिवर्तित हो गया है जिससे बिजली, मीथेन गैस तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं बनाई जा रही हैं।