मुझको देखे बिना सहर न हुई
मुझको देखे न कोई दिन गुज़रा
मेरी एहसास — ए मोहब्बत को भूलने वाले
मेरा चेहरा तेरी नज़रों से किस तरह उतरा
कभी कोई टीस , क्या यादों की मेरी चुभती है
क्या कोई मेरी छुवन की तपिश याद आती है
क्या मेरे हँसने का , अन्दाज़ , रूलाता है तुझे
क्या तेरी ख़ामोशी की शिदद्त मुझे बुलाती है।
मुझको खोने का गम, अश्कों में किस तरह उतरा
जो मेरे साथ बिताएं है , उन लम्हों की कसम
क्या मेरी शोखियों , पे अब भी दिल मचलता है।
इक मुद्द्त हुई नज़रों से दूर हूँ , मैं तेरी
क्या मेरे प्यार का जादू वहाँ भी चलता है।
मेरी जुदाई का मंजर , वो किस तरहाँ गुज़रा
उपयुक्त पंक्तियां रजनी सैनी सहर की लिखित पुस्तक परिधि से पहचान तक से ली गई है।