ग़ज़ल : अहसास आस-पास 

ग़ज़ल : अहसास आस-पास 

संजय एम. तराणेकर 
(कवि, लेखक व समीक्षक)

 

किसी का होना इतना आसाँ नहीं।

जब ख़ुद की ही कोई पहचान नहीं।

तुम्हें तो डूब के करना होगा प्यार।

बिन इसके अपना जीना है बेकार।

चाहे हो जाए कितनी भी तकरार।

एक-दूजे पर कभी ना करना वार।

खूब खाओ कसमें निभाओ रसमें।

जमाने को करलों अपने ही बस में।

एक तू है जिसका मुझे अहसास है।

ऐसा लगता है तू मेरे आस-पास है।

संजय एम. तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)