डॉ.समरेन्द्र पाठक
वरिष्ठ पत्रकार।
पटना,19 मई 2024 (एजेंसी)। मशहूर कहावत है कि राजनीति में कोई किसी का सदा दोस्त या दुश्मन नहीं होता है,यह उदाहरण बिहार के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान देखने को मिल रहा है।
वर्ष 1990 के दशक के पूर्वार्ध में सदैव एक साथ दिखने वाले बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव एवं उनके सखा प्रो.रंजन यादव लगभग दो दशक बाद चुनावी मंच को एक साथ साझा करते दिखे।
प्रो.यादव इन दिनों पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन के घटक राजद प्रत्याशी डॉ.मीसा भारती के लिए गांव-गांव घूमकर वोट मांग रहे है। होना भी चाहिए आखिर चाचा भतीजी का रिश्ता भी रहा है। प्रो.रंजन यादव का लालू यादव से अनबन तब हुआ था,जब उन्होंने राबड़ी देवी को राज्य का कमान सौंपा था।
इसी तरह वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी आज कल हर चुनावी सभा में तेजस्वी यादव के साथ दिखाई देते हैं। एक समय दोनों के रिश्तों में तब अनबन देखने को मिला था जब सहनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने पीठ में छुड़ा घोंपने का आरोप लगाकर तेजस्वी यादव से जुदा हुए थे।
यही कहानी बिहार की राजनीति में अर्से तक छाए रहे स्व.कैप्टन जय नारायण निषाद के सांसद पुत्र अजय निषाद का है। उन्होंने भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस का दामन थाम लिया एवं मुजफ्फरपुर से प्रत्याशी बनने के बाद भाजपा एवं उनके नेताओं को जमकर कोसने लगे हैं।
हालाँकि इस सूची में बिहार कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्षों अशोक चौधरी एवं महबूब अली केसर का नाम भी है,जो प्रदेश कांग्रेस के एक हिस्से को लेकर ही अन्यत्र जुड़ गए और अब कांग्रेस को खरी खोटी सुनाने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे कई और नाम है,जो पाला बदलते ही सुर बदल चुके हैं।एल.एस।