नई दिल्ली : दिल्ली के भारत मंडपम में 44वें विश्व व्यापार मेले के हॉल नंबर 8, 9 और 10 मे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सरस आजीविका मेला 2025 में ग्रामीण भारत की शिल्पकलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। सरस मेले में हर स्टॉल पर विभिन्न राज्यों की कला और खासियत को आप महसूस कर सकते हैं।
इन्हीं में से एक उत्तराखंड के अल्मोरा जिले की जागेश्वरधाम गांव से आई हुईं जय मां कालिका स्वयं सहायता समूह की हर्षिता सोयाल बिष्ट बताती हैं कि सरस मेले में वह अपने स्टॉल नंबर 118 पर उत्तराखंड की लोककला एपन से बने सामानों में लक्ष्मी चौकी, सरस्वती चौकी समेत नौ देवियों को समर्पित नौ चौकी, पारंपरिक आभूषण में नथ, मांग टीका, गुलबंद, हाथ में पहनने वाले पौंची, सौभाग्य की चुनरी, रिंगाल से बने हुए चटाई, रोटी रखने वाले डब्बे, पेन स्टैंड, मूज की चटाई, मूज की रोटी बॉक्स, फ्लावर पॉट, लकड़ी के बने हुए मिनेचर, क्रॉचेट के खिलौने आदि सामान लेकर आई हैं।
इसके साथ ही वो बताती हैं कि बीट्स के बने नजर बट्टू, हैंप के बने हुए पर्स, रस्सियों के बने पर्स, जूट के पर्स आदि लेकर आई हुई हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि अल्मोरा के फेमस कॉपर (तांबा) के बने हुए कलश, पंच पात्र, लोटे, गगड़ी समेत तमाम आइटम लेकर दिल्ली आई हुई हैं। इनमें कुछ सामान ऐसे भी हैं जो कि दिल्ली में बहुत दुर्लभ ही मिलता है। उन्होंने बताया कि उनके स्टॉल पर जमकर खरीदारी हो रही है। उनके स्टॉल पर बीस रुपये से लेकर नौ हजार तक के सामान उपलब्ध हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित 44वें विश्व व्यापार मेले में एक बार फिर परंपरा, क्राफ्ट, कला एवं संस्कृति से सराबोर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” थीम के साथ, 14 नवंबर से 27 नवंबर तक प्रसिद्ध सरस आजीविका मेला 2025 का आयोजन किया जा रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सरस आजीविका मेला 2025 में ग्रामीण भारत की शिल्पकलाओं का मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। 14 नवंबर से 27 नवंबर तक चलने वाले इस उत्सव में 31 राज्यों की 300 से अधिक महिला शिल्प कलाकार, 150 से अधिक स्टॉलों पर अपनी-अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शनी का प्रदर्शन कर रही हैं।
सरस आजीविका मेला के दौरान देश भर के 31 राज्यों के हजारों उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री होगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा यह एक मुहिम की शुरुआत की गई है जिससे कि हमारे देश के हस्तशिल्पियों और हस्तकारों को अपनी रोजगार शुरू करने का मौका मिल सके। ताकि
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया आत्मनिर्भर भारत का संकल्प व “वोकल फॉर लोकल”, “लोकल टु ग्लोबल” अभियान को बढ़ावा मिल सके। साथ ही प्रधानमंत्रीजी के ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का सपना भी साकार हो सके। सरस में इस बार लखपति दीदियों पर फोकस किया गया है। यही कारण है कि सरस को पांच जोन में लखपति दीदियों के राज्यों के हिसाब से बांटा गया है।