पश्चिम बंगाल स्थित दार्जिलिंग शहर 3149 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। समुद्रतल से लगभग 7 हजार फिट की ऊंचाई पर बसे दार्जिलिंग को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है। ये शहर जितना ही खूबसूरत है , इसका इतिहास उतना ही रोचक है। शुरुवात में दार्जिलिंग सिक्किम का हिस्सा था , फिर भूटान ने इस पर कब्ज़ा जमाया , बाद में एक बार फिर सिक्किम का आधिपत्य हो गया। 18 वीं शताब्दी में यह शहर नेपाल के कब्जे में रहा लेकिन 1817 के युद्ध में हार के बाद नेपाल को ये शहर ईस्ट इंडिया कम्पनी को सौंपना पड़ा।
अपने प्राकृतिक आकर्षक के साथ ही दार्जिलिंग राजनीतिक अस्थिरता का भी शिकार होता रहा। कभी तिब्बती , कभी यूरोपियन तो कभी रसियन लोग यहाँ आते रहे। बाद में ये जगह अंग्रेजों को बहुत पसंद आ गई और वे यहाँ बसने लगे।
बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं का स्थल भी इसे कहा जा सकता है। गौरतलब है कि दार्जिलिंग से ही सबसे पहले गोरखालैंड बनाने की मांग भी की गई थी।
जहाँ तक इस शहर के पर्यटन स्थल बनने की बात है , तो गर्मी में ठंड के अहसास से अग्रेजों ने इस शहर को अपनी पसंद बनाई तो आज भी प्राकृतिक छटाओं से लबरेज यह शहर पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केंद्र है।
