नहीं उसको बुलाये

है पंख नहीं पर हमें परवाज है जरूर
ख्यालों में ले ऊड़ान की भरते हैं कलायें।

ख्यालों की उड़ानों से हम थके हैं इस कदर
है वक्त कहाँ अब तो किसी बज्म में जाये।

धन और प्यार में चुना जो धन को उन्होंने
कैसे हम अपनी नाजनी की नाज उठायें।

बदलाव के रसिया हैं तो बर्दाश्त भी करिये
व्यवहार में बदलाव को जो हम कभी लायें।

इस लेन – देन को न मुहब्बत बताइये
मिलिये गले , हम सिर्फ अगर प्यार जतायें।

होता निरोग कौन है दुनिया में दवा से
जब तक न साथ साथ हो भरपूर दुआयें।

सब छोड़ दें , अल्लाह हिफाजत को आएगा
पत्थर उठा लिया तो नहीं उसको बुलायें।

उपयुक्त पक्तियां इन्द्रधनुष पुस्तक बी एन झा द्वारा द्वारा लिखी गई हैं।