गाँव की गिरह से शहर के गिरोहों की ओर

साजिशों के छांव में चलते शहर
और अमराईयों की गोद में पलते गाँव

सूरज के उगने से पहले जग जाता है गाँव
सूरज के डूबने पर गति पाता है शहर

क्योंकि शहर प्रगतिशील है।
गाँव गतिशील है।

इसलिये शहर में पीआर के लिए संबंध बनाये जाते हैं।
गाँव में लट्ठ के बीच रिश्ते उग आते हैं ।
कारण है

शहर प्रोजेक्ट पर चलता है।
गाँव प्रोडेक्ट करता है।

चलते – चलते
गाँव में शाम को दलान में बैठकी होती है।

शहर में दलालों की बैठकें चलती हैं।
तभी तो

गाँव बोये गये थे।
शहर बनाये जा रहे है —

उपयुक्त पक्तियां आशतोष दीक्षित द्वारा लिखी गई है।