तन्मय का फोन उठाते ही सौम्या चिल्लाई , तू पागल है क्या अकल है कि नहीं
तन्मय ने चौंकते हुए पूछा , क्यू — अब क्या हुआ ?
सौम्या क्या हुआ क्या — तेरी वजह से कितना बवाल हुआ आज। जब मन करे मुंह उठाकर फोन मिला देता है। कोई टाइम भी तो होना चाहिए —
तन्मय लेकिन हुआ क्या ? कुछ बता तो।
सौम्या ने बिफरते हुए कहा , कुछ नहीं हुआ — जब देखो तब तेरा फोन — भाई ने कितना सुनाया आज — मुझे फोन मत करियो अब कभी जब तक मैं ना करु — समझा ?
तन्मय ने उदासी से कहा समझा तो नहीं — लेकिन कर भी क्या सकता हूं —
सौम्या ने खीझते हुए कहा , नहीं समझेगा तो नंबर बदल दूँगी। फिर मिलाता रहियो।
तन्मय हुंकारी भरकर चुप हो गया। सौम्या ने फोन काट दिया।
कुछ दिन पहले ही सौम्या ने कहा था तू मेरा इंतज़ार ना किया कर। मेरे इंतज़ार में रहेगा तो कभी बात नहीं होगी — बहुत बिज़ी हूं मैं। तू खुद ही कर लिया कर फोन।
फिलहाल तन्मय अपने लेटेस्ट टेलीफोनिक ब्रेकअप के सदमे में है। सौम्या का पता नहीं —
अभी तो दो ही दिन हुए हैं। वैसे भी सौम्या कहती है कि उसे तो हफ्ते भर किसी की याद नहीं आती।
उपयुक्त पक्तियां अमित तिवारी द्वारा लिखी गई है।