आज फिर कुछ लिखने की रूत आई है ,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
रिश्तों के तार फिर ख़ामोशी से गुनगुनाए ,
दर्द के पोरों से कुछ गम मुस्कुराये।
कुछ नये जज़्बात , कुछ पल हैं नये ,
कुछ पुराने साज दिल ने फिर सजाये।
फिर बजी वो यादों की शहनाई ,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई हैं।
फिर वही पल हैं सुनहरे याद आये ,
फिर वही सपने हैं पलकों में सजाये।
फिर वही हंसना , मनाना , रूठ जाना ,
फिर वही निष्काम , चंचल सी अदाएं।
आज फिर से दिल ने वही नज़्म गाई हैं ,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई हैं।
फिर वही हलचल पुरानी , पल नये हैं।
है पुराने आज , लेकिन कल नये हैं।
फिर कोई इतना क्यूँ दिल पे छाया – छाया ,
फिर वही खुशबू मगर संदल नये हैं।
आज फिर सांसे गुलाबी रंग लायी हैं ,
आज फिर से ख्वाबों में तन्हाई है।
उपयुक्त पंक्तियां अमित तिवारी द्वारा लिखी गई हैं।