मीमांसा डेस्क।
पश्चिम बंगाल स्थित दार्जिलिंग शहर 3149 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। समुद्रतल से लगभग 7 हजार फिर की ऊंचाई पर बसे दार्जिलिंग को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है। वही पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल के रूप में दार्जिलिंग को बखूबी जाना जाता है। अगर आप दार्जिलिंग शहर में घूमना जाना चाहते है तो इन जगहों पर भी आप घूम सकते है।
- टाइगर हिल
सूर्योदय के विस्मित नजारे के लिये यहाँ टाईगर हिल बहुत मशहूर है। समुद्र, तल से 8482 फुट की ऊंचाई पर स्थित टाईगर हिल से जब सूर्योदय का अद्भुत नजारा लोग देखते हैं तो हैरान रह जाते हैं। यूँ तो सूर्योदय हर दिन होता है , मगर यह खुद में अपनी ख़ूबसूरती समेटे है , ऐसा टाईगर हिल पर जाकर ही महसूस किया जा सकता है। बड़ी संख्या में सैलानी यहाँ सुबह के इस अप्रितम नजारे को एक भरपूर नजर देखने के लिये लालायित रहते हैं , जब सूर्योदय का आगमन होता है , तब पहाड़ों पर चांदनी सी बिखेरती नजर आती है , और धीरे – धीरे सारी पर्वत शृंखलाएँ दूधिया रोशनी से नहा जाती हैं। ये सुन्दर नजारा बरबस ही किसी का भी मन मोह ले। इस टाईगर हिल से एवरेस्ट की चोटी का भी दीदार किया जा सकता है पर इसके लिये मौसम साफ रहना जरूरी है। इसके साथ ही विश्व की सबसे ऊंची तीसरी चोटी कंचनजघां को भी इस टाइगर हिल से देखा जा सकता है।
- टॉय – ट्रेन
दार्जिलिंग घूमना हो और टॉय – ट्रेन की बात न की जाए तो सफर अधूरा है। विश्व के धरोहरों में यहाँ के टॉय – ट्रेन का नाम भी शामिल है। जिस तरह दार्जिलिंग की चाय दुनियाँ भर मशहूर है , उसी तरह टॉय – ट्रेन भी अपनी खास पहचान के लिये जाना जाता है। 1921 में इसकी स्थापना हुई थी , शुरू में यह हिमालयन रेलवे का हिस्सा थी। यह रेलमार्ग 70 किलोमीटर लंबा है , जो बतासिया लूप तक जाकर खत्म होता है।
सैलानी इससे मोनेस्ट्री तक सफर कर दार्जिलिंग के प्राकृतिक छटा का आनंद उठा सकते हैं। यह टॉय – ट्रेन लगभग 15 किलोमीटर प्रति घंटे के धीमी रफ्तार से देवदार व बांस जैसे पेड़ों से भरे मार्गो से निकलकर कभी सड़कों पर तो कभी लोगों के घरों के बिल्कुल पास से होकर गुजरती है। यही वजह है कि सैलानी इसमें बैठकर दार्जिलिंग की खूबसूरत प्राकृतिक छटा के साथ – साथ वहाँ के लोगों की जीवनशैली भी नजदीक से देखते हैं। विभिन्न रास्तों से गुजरकर जब यह ट्रेन घूम स्टेशन पहुँचती है तो रोमांच एक बार फिर चरम पर होता है। 7408 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह स्टेशन दुनियाँ के नैरो गेज रेलपथ का दूसरा सबसे ऊंचा स्टेशन है।
- मठों की प्रसिद्धि
दार्जिलिंग अपने मठों के लिये भी जाना जाता है। यहाँ का मशहूर मठ घूम मोनेस्ट्री है।
- जैविक उद्यान
माउंटेनिंग संस्थान के दायीं ओर पदमाजा नायडू हिमालयन जैविक उद्यान स्थित है। इस उद्यान में हिमालयन तेंदुआ और लाल पांडा को भी देखा जा सकता है। इसके साथ ही यहाँ तिब्बती भेड़िये और साइबेरियन बाध भी हैं , जिन्हें एक साथ देखा जाना अन्य कहीं दुर्लभ है। यहाँ ऑर्किड की 50 प्रजातियाँ भी देखने को मिलती हैं , जो अपने – आप में अलग है।
- अन्य दर्शनीय स्थल
दार्जिलिंग आप आएं तो कई और भी दर्शनीय स्थल हैं जिनमें – हिमालयन पर्वतारोहन संस्थान , सिंजल झील , मिरिक झील , सिंगला बाजार जोर पोखरी , रॉक गार्डन , राजभवन , वर्धमान महाराजा की कोठी , नवनिर्मित गंगामाया पार्क , संदाकफू व फ़ालूट आदि हैं। यहाँ भारत के 6 शांति व स्तूपों में से एक जापानी पीस पैगोडा भी है जिसकी स्थापना विश्व शांति के लिये फूजी गुरु ने की थी।फूजी गुरु महात्मा गांधी के मित्र भी थे। शांति की चाह रखने वालों के लिये यहाँ स्थित कालिपोंग की सुरम्य घाटी या फिर नयनाफिराम कुर्सियांग बेहतरीन पसंद बन सकते हैं।