बस इतना हो , अच्छा हो

 

बस इतना हो , अच्छा हो

उसको लिखना , उसको पढ़ना ,

उस पर किस्सागोई सी।
उसमे होना , जी भर रोना ,

उसमे नींदे सोयी सी।
उसको पाना , उसको खोना ,

उस बिन पल -पल कट जाना।
उसकी आड़ी तिरछी सब ,

रेखाओं का रट जाना।
उसका कहना , उसका रहना ,

उसकी आँखों के मोती।
अब भी जान नहीं पाया ,

बिन उसके साँसे कब होती।
कह दूँ उसको छोड़ चूका हूँ ,

फिर कैसे मैं जिंदा हूँ।
उसकी आँखे नम आखिर क्यूँ ?

मैं अब भी शर्मिंदा हूँ।
उसके वादे , उसके गीत ,

उस चेहरे पर मेरी जीत।
उसकी खातिर सपने सारे ,

उसकी खातिर सुर – संगीत।
उसको सुनना , उसको गुनना ,

उसकी धुन में खो जाना।
उसकी पलकों के साये में ,

मेरे सपनों का सो जाना।
उससे कह दूं दिल का किस्सा ,

जैसा झूठा सच्चा हो।
वो हो , मैं हूं बस कुछ सपने ,

बस इतना हो , अच्छा हो
बस इतना हो , अच्छा हो

उपयुक्त पक्तियां अमित तिवारी द्वारा लिखी गई है।