विकल्प मीमांसा ।
किसी गांव में एक चोर रहता था। उसने कई चोरियां की थी, लेकिन अपनी होशियारी के कारण वह न्यायालय से कभी दण्डित नहीं हुआ था। गांव वाले उससे बड़े परेशान थे। वह चोर दिन में और रात के तीसरे पहर में भी चोरी किया करता था।
कई लोग उसे चोरी करते हुए देख भी लेते थे , किंतु डर के मारे अदालत में उसके विरुद्ध गवाही नहीं देते थे , जो कोई उस चोर की शिकायत करता था , उसके घर में वह चोर अवश्य ही चोरी करता था। कुछ वर्षों के बाद गांव में हैजा फैला और चोर बीमार पड़ कर मर गया।
इस चोर की स्त्री अपने पति की तेरहवीं में तीन ब्राहमणो को भोजन कराना चाहती थीं, लेकिन कोई भी ब्राहमण चोरी के माल को खाकर अपने – आपको पापी नही बनाना चाहता था।
चोर की स्त्री प्रत्येक ब्राहमण के घर निमंत्रण देने गई , लेकिन किसी भी ब्राहमण ने उसके निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया। वह आस – पास के गांव में भी पंडित को बुलाने के लिए गई , लेकिन सभी ने जाने से इंकार कर दिया।
एक दिन चोर की स्त्री तालाब के पास बैठी थी , कि तीन तिलकधारी पंडित उसे दिखाई दिये। वह दौड़ती हुई उनके चरणों में गिरकर बोली , पंडित जी महाराज , मैं बड़ी भाग्यशालिनी हूँ। आपके दर्शन पाकर मेरे सारे दुख दूर हो गये हैं।
आज मेरे पति की तेरहवीं है। आपको निमंत्रण देने आई हूँ। दया करके मेरे घर पधारिये और मिठाई खाकर अपनी भूख मिटाइए। आपके भोजन करने से मेरे पति की आत्मा को पूर्ण सुख मिलेगा। मरते समय उन्होंने तीन पंडितो को मिठाई खिलाने की इच्छा प्रकट की थी।
इन तीन नकली पंडितो ने चोर के घर पर बैठकर खूब मिठाई खाई और आशीर्वाद देकर चलने लगे। इतने में चोर की स्त्री बोली , पंडित जी महाराज , एक बात कहना चाहती हूँ आज्ञा हो तो कहूँ। हां – हां कहो।
सब पंडित एक साथ कह उठे। महाराज ,, मै चोर की स्त्री हूँ। मेरा पति नामी चोर था। वह मर गया है। गांव में कोई ब्राहमण मेरे अन्न को ग्रहण करने को तैयार न था। आप लोगों ने मेरे घर पधार कर बड़ी कृपा की है।
सचमुच आप ही सच्चे ब्राहमण है , क्योंकि सच्चे ब्राहमण सब पर दया करते हैं। वे तीनो नकली ब्राहमण चोर की स्त्री को सुनकर हंस पड़े और उनमें से एक बोला , चोर की स्त्री हम तीनों ही चोर है। जाति के खगार है।
पुलिस की आँखो से बचने के लिए हम लोगो ने ब्राहमण का रूप धारण कर लिया है। तुम नामी चोर की स्त्री हो और हम नामी चोर। अब किसी प्रकार का पछतावा न करो। नकली पंडितो की बातों को सुनकर पास में खड़े हुए एक किसान ने कहा -सच है ,
जैसो को तैसो मिले , चोर को चोर।
धोबी को धोबी मिले , खोर को खोर।