नयी दिल्ली।
मिथिला राज्य निर्माण की अवधारणा को जरुरी मानते हुए मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने कहा है कि क्षेत्र की सभी औद्योगिक इकाइयां रुग्णावस्था में हैं, जो आजादी के बाद तक संचालित थी।
मनोज झा ने कहा कि बिहार सरकार की दोरंगी नीति के कारण इन तमाम स्थापित औद्योगिक इकाइयों को एक-एक कर बंद कर दिया गया । जिससे मिथिला क्षेत्र में रोजगार का संकट पैदा हुआ है। मिथिला क्षेत्र के लोग पलायन करने को मजबूर किए गये और उनके बौद्धिक कुशलता का लाभ देश के अन्य तमाम राज्यों को मिला है।
उन्होंने कहा है कि मिथिला क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जबकि धर्म शास्त्रों में वर्णित मिथिला के पर्यटनशील स्थल आज भी अनवरत रुप से सरकारी उपेक्षा के दंश का शिकार है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य व देश को खाद्यान्न आपूर्ति करने में समर्थ मिथिला क्षेत्र की उपजाऊ भूमि को कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ का सामना करना पड़ता है,जिसके लिए अब तक सरकार के पास कोई ठोस निदान नहीं होना सरकारी उपेक्षा को दर्शाता है,जबकि बिहार सरकार यह कहती है कि मिथिला के विकास के बिना बिहार का विकास अधूरा है।
मोर्चा के अध्यक्ष झा ने कहा है कि आजादी के लंबे समय बाद भी शिक्षा की दिशा में मिथिला क्षेत्र की उपेक्षा अनवरत की जा रही है। और परिणाम स्वरूप मिथिला क्षेत्र में अब तक एक भी उच्च शैक्षणिक संस्थान की स्थापना नहीं की गई। मेधावी छात्र शिक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर हैं जबकि मिथिला क्षेत्र में प्राचीन काल से ही सुदृढ़ शैक्षिक परंपरा रही है।
उन्होंने मिथिला क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए मिथिला राज्य निर्माण हेतु एकजूटता पूर्वक आगे आने की अपील की है।