ओमिक्रोन से निपटने के लिये जरूरी है कि लोग अफवाहों के झांसे में न आएं और सावधानी बरतें।

नई दिल्ली।

कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रोन के खतरे से निपटने के लिये सबसे जरूरी है कि लोग अफवाहों के झांसे में न आएं और सावधानी बरतें। यह बात 12 जनवरी को एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री(एसोचेम) द्वारा “ओमिक्रोन जोखिम और रोकथाम” पर आयोजित वेबिनार में स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कही गई।

दरअसल, इलनेस टू वेलनेस अभियान के अन्तर्गत एसोचेम ने एक बेविनार का आयोजन किया जिसमें ओमिक्रोन के खतरे एवं उसके रोकथाम को लेकर चर्चा की गई। चर्चा में एसोचैम सीएसआर परिषद के अध्यक्ष अनिल राजपूत, फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल से पल्मोनोलॉजी और स्लीप मेडिसिन विभाग के अतिरिक्त निदेशक व एचओडी डॉ. रवि शेखर झा, आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम की क्रिटिकल केयर और आईसीयू प्रमुख डॉ रेशमा तिवारी, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग की सलाहकार डॉ कविता त्यागी, दिल्ली-एनसीआर, टोटल केयर कंट्रोल के संस्थापक और निदेशक डॉ राजेश केसरी ने भाग लिया।

कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर सभी एक्सपर्ट ने अपने सुझाव दिये जो इस प्रकार है-

वेबिनार में अनिल राजपूत ने कहा, “भारत में ओमिक्रोन का प्रसार तनाव बन गया है जिसके परिणामस्वरूप संक्रमणों में तेजी से वृद्धि हुई है। भारत ने केवल 66% वयस्क आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया है और अभी 15 से 18 साल के बीच के बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है। अन्य बीमारियों से पीड़ित व केवल 60 वर्ष से अधिक उम्र के बूस्टर खुराक वाले लोगों की एक बड़ी संख्या चिंताजनक कारक हैं, क्योंकि भारत इस वक्त ओमीक्रोन लहर का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, “टीकाकरण पर जोर, जिम्मेदाराना व्यवहार, निरंतर निगरानी, महामारी नियंत्रण के लिए कारगर रहेगा।”

“ओमिक्रोन वेरिएंट में 2 बुनियादी अद्वितीय गुण हैं। पहला, यह अब तक देखा गया COVID का सबसे हल्का रूप है और दूसरा, यह अब तक देखा गया COVID का सबसे संक्रामक रूप है। इससे हमें डरना या घबराना नहीं चाहिए, लेकिन अपनी सुरक्षा को कम नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम यह जानते कि यह तनाव कब खतरनाक रूप में बदल जाएगा, जो बाद में और अधिक गंभीर हो सकता है। यह बात वेबिनार में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल से डॉ. रवि शेखर झा ने कही।

वहीं डॉ. रेशमा तिवारी, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम, ने कहा कि “कोविड 19 की तीसरी लहर ओमिक्रोन का दिसंबर की शुरुआत में कर्नाटक में पहले पता लगने के बाद पिछले 2 हफ्तों में मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि दिख रही है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान ने फरवरी के अंत तक इसके पीक पर आने और फिर गिरावट के बारे में अपने सुझाव दिये हैं। इस बीच, सभी की ओर से जिम्मेदारी पूर्वक व्यवहार करना समय की मांग है।”

डॉ कविता त्यागी, सलाहकार, कार्डियोलॉजी विभाग, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली ने कहा, “पहले से अस्वस्थ लोग अधिक जोखिम में हैं। हमें हृदय, फेफड़े और किडनी की आधारभूत स्थिति पर नज़र रखने की आवश्यकता है, क्योंकि इन लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिये शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तरों पर नित्य ध्यान देना जरूरी है।”

डॉ. राजेश केसरी, संस्थापक और निदेशक, टोटल केयर कंट्रोल, दिल्ली-एनसीआर, ने कहा, कोविड 19 का ओमाइक्रोन संस्करण पहले ही 2 महीने से भी कम समय में पूरी दुनिया में अपना जाल फैला चुका है। इसे 24 नवंबर को ही WHO द्वारा इस वैरिएंट को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। हालांकि इस रोग को प्रकृति में हल्का माना जाता है, लेकिन जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण समूह जो बुजुर्ग है, हृदय रोग, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी, अस्थमा, सीओपीडी जैसी अन्य बमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें संक्रमण होने पर अस्पताल जाना पड़ सकता है। उत्साहजनक बात यह है कि आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण किया जा चुका है और बच्चों को बूस्टर देने और टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

पैनलिस्ट ने एक साथ यह कहा कि इस बार स्थिति पहले की तुलना में बेहतर है क्योंकि लोग अधिक तैयार हैं और अधिकांश लोगों में पूरी तरह से टीका लगाए गए हैं। बिस्तरों की बेहतर उपलब्धता के साथ रोगियों के लिए ऑक्सीजन सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है। फिर भी, हमें डबल मास्क प्रयोग करने के साथ दूरी और स्वच्छता के उचित व्यवहार का पालन करना चाहिए और हमारे रक्त शर्करा के स्तर और ऑक्सीजन के स्तर पर नज़र रखना चाहिए और सबसे बढ़कर अफवाहों के झांसे में न आएं और सावधानी बरतें।

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