कुशाग्र बुद्धि की धनी अरूणा आसफ अली

     चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड
अरुणा गांगुली का जन्म हरियाणा के कालका में उपेन्द्रनाथ गांगुली के घर 16 जुलाई 1909 में हुआ। बचपन में ही अरुणा के सिर से पिता का साया उठ जाने के बाद माँ अम्बालिका देवी ही इनका सहारा थी।
इन्होंने स्कूली शिक्षा नैनीताल से पूरी की। कुशाग्र बुद्धि की धनी होने के कारण अपनी कक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करते रहने के बाद यह शिक्षिका बन गई और फिर कोलकाता के ‘गोखले मेमोरियल कॉलेज’ की अध्यापिका बनी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आसफ अली से 1928 में इनका विवाह हुआ तो ये भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ‘अरूणा आसफ अली’ कहलाई।
9 अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बम्बई के गोवालिया मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराने के लिए ‘हीरोइन ऑफ 1942’ कहलाई। स्वतंत्रता के बाद 1947 में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष निर्वाचित हुई। इन्होंने  कांग्रेस पार्टी की मासिक पत्रिका ‘इंकलाब’ का सम्पादन किया।
1958 में यह दिल्ली नगर निगम की प्रथम महापौर निर्वाचित हुई इसके बाद इन्होंने दिल्ली में सरस्वती भवन की स्थापना की। यह 1975 में ‘अंतर्राष्ट्रीय लेनिन शांति पुरस्कार’ से विभूषित हुई। 1991 में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए इन्हें ‘जवाहरलाल नेहरू अवार्ड’ से विभूषित किया गया और एक वर्ष  बाद 1992 में ‘पदम विभूषण’ से विभूषित हुई।
29 जुलाई 1996 को इनकी मृत्यु हो गई फिर मरणोपरांत 1997 में भारत सरकार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ‘भारत रत्न’ से सम्मानित की गई।
अरूणा आसफ अली की जयंती पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 787वीं कड़ी मंच के सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।
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