हिंदी साहित्य के क्षेत्र में गीतांजलि श्री के नाम है बड़ी उपलब्धियां

चिन्मय दत्ता, चाईबासा, झारखंड

इस साल 2022 में हिंदी की जानी-मानी कथाकार और उपन्यासकार गीतांजलि श्री ने उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार अपने नाम किया।  यह पहला अवसर था जब किसी हिंदी लेखन के क्षेत्र में यह सम्मान मिला हो। दरअसल, हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी रूपांतरण ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए यह सम्मान मिला है।

12 जून को 1957 को   गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में हुई। इन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एम. ए. किया। कुछ दिनों तक जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में अध्यापन के बाद इन्होंने कहानियां लिखनी शुरू की। इनकी पहली कहानी बेलपत्र 1987 में हंस में प्रकाशित हुई थी।  हंस पत्रिका, उपन्यास सम्राट प्रेमचंद द्वारा स्थापित और संपादित रही है।

1994 में इन्हें अपने कहानी संग्रह ‘अनुगूँज’ के लिए यू.के. कथा सम्मान से सम्मानित किया गया। दिल्ली के हिंदी अकादमी ने इन्हें 2020-21 के साहित्यकार सम्मान से अलंकृत किया। इन्हें इंदु शर्मा कथा सम्मान, द्विजदेव सम्मान के अलावा जापान फाउंडेशन, चार्ल्स पॉलिश ट्रस्ट चार्ल्स वॉलेस ट्रस्ट, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और नॉन्ट स्थित उच्च अध्ययन संस्थान की फेलोशिप मिली है।

यह स्कॉटलैंड, स्विट्जरलैंड और फ्रांस में राइटर इन रेसिडेंसी भी रही हैं। बाल अधिकार संरक्षक डॉक्टर एस.पी. सिंह ने कई सम्मेलनों में कहा कि गीतांजलि श्री बाल अधिकारों के लिए अच्छा लिखती हैं।   12 जून को   गीतांजलि श्री के जन्म दिवस पर पाठक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष की 729वीं कड़ी में मंच की सचिव शिवानी दत्ता की अध्यक्षता में यह जानकारी दी गई।

 

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